वर्तमान समय में जब वैशिविक अर्थ व्यवस्था इतनी प्रबल हो चुकी है कि दुनिया एक विश्व ग्राम की भांति व्यव्यहार कर रही है , हमारे देश के नागरिक अन्य देशों में और अन्य देशों से लोग हिन्दुस्तान में रोजगार करने और बसने आ रहे हैं , ऐसे समय में हमारे अपने ही "वसुधैव कुटुम्बकम" का सन्देश देने वाले देश में किसी स्थान पर बढ़ता हुआ क्षेत्रवाद क्या भारतीय शासन एवं प्रशासन की लाचार व्यवस्था को प्रदर्शित नहीं करता ? और क्या हमें एस बात का प्रतिरोध करने का अधिकार देता है कि हम किसी अन्य देश में भारतीयों पे होने वाले नस्ल भेदी हमलों के विरुध आवाज़ उठा सकें?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद १९ के अंतर्गत भारत के प्रत्येक नागरिक को देश में सर्वत्र भ्रमण,रोजगार और बसने का अधिकार है. यह हमारे मूल अधिकारों में से एक है और हमारी एकता एवं अखंडता का द्योतक है.ऐसे में महाराष्ट्र में क्षेत्रवाद को बढ़ावा देना ,भाषाई आधार पर जनता को विघटित करने का प्रयास क्या राजद्रोह नहीं है?
राहुल गाँधी के मुंबई दौरे से (चाहे वह दिखावे की राजनीति हो,अवसरवादिता या फिर वास्तविक जन प्रेम) आशा की एक किरण अवश्य दिखाई देती है कि उत्तर भारतीयों के हितों की रक्षा या सही अर्थों में भारतीयता और एकता की रक्षा हेतु कोई नायक तो सामने है. हमारे तमाम ऐसे तथाकथित लोकनायक जो अन्य मौकों पर अवसरवादिता की राजनीती करने से नहीं चूकते जाने क्यों ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर अपना मुंह दबाये बैठे हैं? या तो वास्तव में भारतीय राजनीति के वे लोग बूढ़े,डरपोक और असहाय हो चले हैं या फिर उन्हें ऐसे लोगों की कोई चिंता नहीं जो क्षेत्रवाद के दुःख से पीड़ित हैं क्योंकि शायद उनमे कोई उनका अपना नहीं और जो हैं उन्हें वे अपना समझते नहीं .
हम हिंदी भाषी प्रदेशों में जुलूस निकलकर,मराठी भाषा के पुतले जलाकर अपनी भाषा या लोगों के खिलाफ किये गए अत्याचार का बदला नहीं ले सकते. इसका सही जवाब हमें अपने नेताओं से दिलवाना होगा क्योंकि वे हमारी आवाज़ हैं और ऐसे समय पर चुप बैठे हैं जब गरजने की आवश्यकता है. यदि अब भी हमारे हिंदी भाषी नेताओं का अंतर्मन हिलोरे न ले तो उन्हें नपुंसक मानकर हमें युवाओं में उनका विकल्प तलाशना होगा और ऐसे लोगों की ओरे देखना होगा होगा जो हमें ये एहसास तो दिला सकते हैं कि हम देश के ऐसे नागरिक हैं जिनके हितों का संरक्षण किया जायेगा ; सरकार द्वारा,संविधान द्वारा ,जन नायकों द्वारा ,हमारे हम वतनों द्वारा I
समस्त उत्तर भारतीयों की ओर से ........................
(Published with dainik Jagran, Gorakhpur Edition)
Copyright ©
Ravi Nitesh | Designed by Abhishek Kumar