महिला अधिकार बनाम आरक्षण
देश भर में होने वाले प्रदर्शन , संसद में महिला सांसदों की एकता और सोनिया गाँधी की महिला बिल को पास कराने की दृढता , सभी कुछ मिलकर क्या देश की औसत महिला का भविष्य वास्तव में इस एक मात्र महिला बिल से बदल सकते हैं ? सवाल है कि क्या महिला सशक्ति करण के लिए महिला बिल का पास होना आवश्यक है? वास्तव में हमारे स्थानीय प्रशासन के स्तर पर (पंचायत,नगर पालिका आदि) जिन पदों पे महिलाएं प्रतिनिधित्व कर रही है, उनके नाम पे उनके पति या अन्य सम्बन्धी ही परोक्ष रूप से शासन कर रहे हैं . महिलाओं को नेतृत्व प्रदान करना ऐसी स्थिति में एक अपरिपक्वता हो सकती है जिसका अनचाहा लाभ उठाया जा सकता है.
यदि इस दिशा में वास्तव में सरकार कुछ करना चाहती है तो उसे सिर्फ महिला शिक्षा पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए क्यों कि महिलाएं शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में पीछे हैं और शिक्षित होकर वो न केवल राजनीति में बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों में अपना मुकाम हासिल कर सकती है .
शिक्षा एक ऐसा हथियार है जो उन्हें सशक्ति करण की दिशा में ले जा सकता है और उनमे वो तमाम गुण निरुपित कर सकता है जिसकी उन्हें वास्तव में आवश्यकता है . महिला बिल पास करा लेने भर से ऐसा कुछ नहीं होने वाला और निचले स्तर पर महिलों कि स्थिति प्रभावित होने वाली नहीं है .
(Published with dainik Jagran, Gorakhpur Edition)
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